Thursday, September 6, 2007

टीवी चैनलों से बरसती आग

नमस्कार मैं हूं क ख ग और हम आपको दिखा रहे हैं वो सीडी जो हमने एक स्टिंग ऑपरेशन करके शूट की है। वो सच जिसे देख आप शर्म से चूर चूर हो जाएंगे। देखिए सिर्फ हमारे चैनल के पास है वो सीडी जिसमें साफ दिखाया गया है कि कैसे एक टीचर अपनी छात्राओं को ब्लेक मेल करके उन्हें वैश्या-वृति में ढकेल रही है। ये ही है वो टीचर जो फ्ला फ्ला स्कूल में पढाती है । सिर्फ हमारे चैनल पर....जाइगा नहीं हम स्टिंग ऑपरेशन में दिखाई गई एक एक चीज़ आपको दिखाएंगे...बिना काट-छांट किए...सिर्फ आप हमारा चैनल देखते रहिए........

ब्रेक पर आप दू्सरा चैनल बदल लेते हैं लेकिन वहां पर भी यही हाल- देखिए ये तस्वीरे मोनिका बेदी की जिन्हें भोपाल जेल परिसर में खींचा गया है। इन्हें देखकर साफ हो जाता है कि मोनिका बेदी की ये तस्वीरें जेल के बाथरूम से खिचीं गई जिसमें मोनिका बेदी को बिना कपड़ों में दिखाया गया है। इन्हें आप सिर्फ हमारे चैनल पर देख सकते हैं।

पूरे परिवार के साथ बैठकर आपके लिए ये देखना मुश्किल हो जाता है और आप दूसरा चैनल बदल लेते हैं। कुछ घंटे बाद किसी चैनल पर खबर आती है कि स्टिंग ऑपरेशन का कुछ इस कदर असर हुआ कि जिस टीचर का स्टिंग ऑपरेशन हुआ उसके स्कूल के बाहर दंगे भड़क गए। लोगों ने आव देखा ना ताव, सच देखा ना झूठ और ना ही पुलिस को मामले की जानकारी दी....सीधे तोड़फोड़ शुरू कर दी। बसें तोड़ी ( जिनका मामले से कोई सरोकार नहीं) पास की दुकाने तोड़ी ( जिनका मामले से कोई लेना-देना नहीं) यहां तक की जब मौके पर पुलिस पहुंची तो उसकी गाड़ी भी फूंक डाली। आनन-फानन में भीड़ स्कूल में घुस गई और उस टीचर को बुरी तरह लात-घूंसों से पीट डाला। अगर पांच मिनट और पुलिस उसे नहीं बचा पाती तो उस दिन उसका मरना तय था। कानून की हर तरफ इस कदर धज्जिया उड़ी लेकिन गुस्साई भीड़ के आगे भला किसकी चलती। पुलिस अगर लोगों को हटाने के लिए लाठी-चार्ज करे तो टीवी चैनलों को एक और हेडलाइन मिल जाए।

आज वो टीचर पुलिस हिरासत में है। चैनल की रिपोर्ट में कई झोल बताए जा रहे हैं , मसलन वो लड़की जो सेक्स वर्कर के तौर पर लाई गई थी, कोई छात्रा नहीं है। टीचर के पास से कोई सबूत नहीं मिले हैं। घर पर जो सीडी मिली वो सभी सिनेमा की हैं। और हैरानी की बात तो ये है कि वो लोग जिन्होंने जमकर तोड़-फोड़ मचाई उनमें से एक भी अपनी शिकायत लिखाने पुलिस के पास नहीं गया। अबतक मामले की कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। तो इतना बवाल क्यों मचा। टीचर दोषी है या निर्दोश ये तो अदालत तय करेगी लेकिन उस दिन जो तोड़-फोड़ की गई, जिनका नुकसान हुआ और जो लोग घायल हुए उसका हर्जाना कौन भरेगा। वो चैनल, जो रिपोर्ट दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रहा है या फिर वो लोग जो हंगामा करके कहीं किसी ठेके पर बैठे अपनी जांबाज़ी के किस्से सुना रहे हैं या फिर आम जनता जो कान की इतनी कच्ची है कि बिना कुछ देखे समझे बस टूट पड़ती है अपने ही लोगों पर। सवाल ये नहीं कि टीचर कसूरवार है या नहीं बल्कि सवाल ये है कि क्या टीवी चैनल टीआरपी के लिए इतने उतावले हो गए हैं कि बिना मामले की तह तक जाए स्टिंग ऑपरेशन कर रहे हैं। और खबरों का रुख इस तरफ मोड़ रहे हैं जिन्हें देखकर लोग भड़के और अपना आपा खो जाए।

मैं उस जनता पर भी उंगली उठाती हूं कि जो खबर देखकर या खबरों में आने के लिए कानून को हाथों में तोड़ने से कोई परहेज़ नहीं करते। आप कावड़ियों का मामला ही ले लीजिए। किसी ट्रक या बस ने कावड़ियों को कुचल डाला। इसका खामियाज़ा उस पूरे इलाके को भुगतना पड़ा जहां ये वारदात हुई। और पुलिस ने जब दंगा रोकने के लिए सख्ती बरती तो चैनलों की हेडलाइन हुई " पुलिस की हैवानियत "। आखिर जनता का माध्यम मीडिया, कितना जनता का है। मीडिया इस्तेमाल हो रहा है या इस्तेमाल कर रहा है। ये कौन सा माध्यम बन गया है। बताने का या भड़काने का।

5 comments:

Anonymous said...

कमाल का लिखा है भई! हम तो तुम्‍हारी राइटिंग के मुरीद हो गये!!

विनीत कुमार said...

सही कहती हो शैली ,दरअसल आज एक ट्रेनी भी सपने को पूरा करने के लिये पुरी प्रक्रिया से गुजरना ही नही चाहता ....जैसे स्टोरी अचानक ब्रेक होती है वैसे ही ख़ुद को ब्रेकिंग बनाना चाहता है..की ये लो मई हू ..मीडिया को इतना अधिक पर्सनली लेना खतरनाक तो है ही ...क्योकि आप चाहे जो कुछ करे याहा आने पर पर्सनल तो कुछ रह नही जाता ...इसका सोशल कंसर्न तो है ही

Srijan Shilpi said...

बढ़िया लिखा है, शैली।

Dipti said...

मैं विनीत जी की बात से पूरी तरह असहमत हूं। इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं की परेशानी से शायद वो वाकिफ नहीं। बिना पहचान के यहां आपका रिज्यूमे एच आर तक नहीं पहुंचता है। आपकी प्रतिभा पहचान से शुरू होती है,वहीं खत्म हो जाती है। बिना सोर्स के आप चैनल की सीढ़ियां नही चढ़ पाते है। ऐसे में यदि कोई गलत रास्ता अपनाता है तो उसमें आप ज्यादा जिम्मेदार हैं। क्योकि आप इस क्षेत्र में फेयर सिलेक्शन की जगह पहचान को तवज्जो देते हैं।

दीप्ति।

Bhuwan said...

ye baat bilkul sahi hai ki reporetr prakash ne galat kiya lekin is mamle me usse jyada jimmedar channelo me unchi post par baithe kuch tatha kathit bade patrkar. jo media dusro ko aaina dikhata rahta hai usne kabhi apne girebaan me jhakne ki nahi sochi. prakash aaj jail me hai lekin channel on air ho gaya. kya channel ki jimmedari nahi thi ki wo report ko cross check kare? ya sansani failane aur trp ki daud me aage aane k liye unhone ise najarandaz kar diya. kyoki aisa ho nahi sakta ki sachchai channel ko pata na ho. media ka ye dogla rawaiya bahut khed janak aur sharmnaak hai. sirf yahi nahi total tv ki mahila patrakar ki maut par media ka response bahut bura tha. kisi channel ne is khabar ko dikhane ki himmat nahi ki. karan.... mamale me channel head fans rahe the.