Friday, September 7, 2007

दुम दबा के भागी बिल्ली

भागते-भागते अचानक बिल्ली की नज़र मुझपर पड़ी, पहले आंखों से आंखें मिली फिर वहीं रुक गई। साफ सुथरे कपड़े, घुटनों तक आधी कटी हुई पेंट, नॉट वाली टी शर्ट और कंधो तक हबीब से हज़ारों देकर कटाए बेबी कट बाल। देखकर समझ गई, ज़रूर ये कोई मीडिया पर्सेनेलेटी है। इससे डरने की बात नहीं। अब ये मुझे नहीं पहचानेगी। लेकिन अगर इसे मेरी तस्वीर याद रही तो? इसे देखकर तो ऐसा नहीं लगता की इसे मेरी तस्वीर याद है। और फिर इसे इतनी फुर्सत भी कहां जो ये बीती बातों को याद रखे। इसे तो जल्दी है ये देखने की कि इस बार तरुण तहलियानी के शो में कौन कौन से सितारे आए हैं। अरे, वहां इसकी ओबी वैन जो फिट है, लाइव इवेंट है। सुना है, चैनल को कई बड़े स्पोंसर भी मिले हैं। हर बुलेटिन में फैशन का सीधा हाल सुनाएंगे। क्या पता किसी मॉडल का कपड़ा सरक जाए तो कवरेज में चार-चांद लग जाएगा। बाद में भले ही मॉज़ेक करके चलाते रहें, लेकिन पहली बार तो लाइव फुटेज चल ही जाएगा। इसी बहाने कम से कम इस बार की टीआरपी की टेंशन से तो छुट्टी मिलेगी।


सहीं है, इसके भी दिन हैं। यहां तो दाने दाने के लिए रोज़ मरना पड़ता है। शहर से सारे चूहे ही गायब हो गए हैं। पता नहीं उन्हें ज़मीन निगल गई, या आसमान चट कर गया। कल ही देहात से आया एक चूहा हाथ लगा लेकिन पूरा सड़ा हुआ। हैजा था उसे, अंदर का सारा खून सूख गया था। क्या करता जिस घर में वो रहता था वहां की हालत ही कुछ ऐसी थी। पूरा घर हैजे ने खा लिया। बाढ़ ने घर को लील लिया। किसी तरह पुलिया पार कर वहां से निकला तो हैजे और बिमारियों ने घेर लिया। बेचारा मिन्नते कर रहा था कि मैं उसे मार ही डालू। बता रहा था कि आधे शहर का यहीं हाल है। बिहार, असम के दर्जनों ज़िले बिमारी और भुखमरी से तड़प रहे हैं। सरकार ने आपात काल की घोषणा भी कर दी है। उसकी दर्द भरी कहानी सुनकर मुझे ही रोना आ गया। लेकिन अब सोचती हूं, कहीं वो मुझे गच्चा तो नहीं दे गया। जब इतनी बड़ी त्रासदी हो रही है तो उसका भी लाइव दिखाना चाहिए था इन न्यूज़ चैनल वालों को। वहां की कोई खबर तो सुनने में नहीं आई। क्या पता, वहां से लाइव हो ही नहीं सकता हो, या फिर ये भी हो सकता है कि हैजे के बीच जाकर कौन रिपोर्टर अपनी जान जोखिम में डालना चाहता हो। इनसब विषयों के स्पोंसर भी तो नहीं होते और ना ही कुछ मसाला। फैशन और गरीबी में कोई तुलना हो सकती है भला। फैशन फैशन है और गरीबी गरीबी। विजय माल्या ने ऐसे ही लाइफ स्टाइल चैनल पर करोड़ों रुपए इन्वेस्ट नहीं किए। मुनाफा किसे प्यारा नहीं। बातें अलग हैं और बिजनेस अलग।


पर मुझे क्या इन बातों से, मुझे तो रोज़ कुंआ खोदना है और रोज़ पानी निकालना है। क्या करूं आम बिल्ली जो ठहरी। अभी कल ही की तो बात है, ज़ोरो की भूख लगी थी, दो दिन से एक भी चूहा हाथ नहीं लगा था तो सोचा मच्छी बाज़ार की तरफ ही चली जाउं। शायद वहां कुछ मिले। अभी आधा दूर ही चली थी कि एक ज़ोर का पत्थर दनदनाता हुआ आया और सीधे मेरे मुंह पर लगा। एकदम झन्ना गई। चारों तरफ आग और धुंए का अंबार बिखरा पड़ा था। मुझे लगा मैं कहीं तालीबान तो नहीं पहुंच गई जहां अचानक की बम फटते रहते हैं। पत्थर की चोट को अभी सहला ही रही थी कि कहीं से आवाज़ आई कि यहीं है वो जिसकी वजह से इस ट्रक ने अपना आपा खोया और एक आदमी कुचल गया। मैने पीछे मुड़कर देखा तो पकड़ो पकड़ो की आवाज़ चारों तरफ से मेरे करीब आने लगी। एक पल को तो समझ ही नहीं पाई की ये क्या हो रहा है। लेकिन जब भीड़ को अपनी तरफ आते देखा तो ऐसा घबरायी की आव-देखा ना ताव सरपट दौड़ लगा दी। जान हथेली पर रख भागती रही, भागती रही। किसी तरह एक डब्बे में छुपने की जगह मिली। कुछ देर वहीं बैठी रही। फिर जब चारों तरफ से कोई आवाज़ सुनायी नहीं दी तो बाहर निकली। हाय, क्या सच में मेरी वजह से वो आदमी ट्रक के नीचे आ गया। लेकिन मैं तो सड़के किनारे पटरी पर ही चल रही थी। हाय, मैं तो खुद अभागी हूं, मैं भला कैसे एक आदमी की मौत का कारण बनी। अभी इसी उधेड़बुन में ही लगी थी कि देखती क्या हूं पास की ही दुकान में लगे टीवी पर मेरी तस्वीरें दिखाई जा रही हैं। मैं एकदम धबरा गई। पास जाके सुनने की कोशिश की तो हल्की हल्की आवाज़ में सुनायी दिया, देखिए सिर्फ हमारे पास हैं उस कातिल बिल्ली की तस्वीरें जिसने लील ली एक व्यक्ति की जान। ये एक्सक्लूसिव फुटेज आप केवल हमारे चैनल पर ही देख सकते हैं। सबसे तेज़। बिल्ली तो मौके से फरार है लेकिन उसका हुलिया केवल हमारे पास है। जिसे भी ये बिल्ली नज़र आए, सीधे हमारे स्टूडियों का नंबर लगाएं। और अगर आप चाहें तो एमएमएस कर हमें उसकी और तस्वीरें भी भेज सकते हैं। हमारा आज का सवाल भी इसी से जुड़ा है- आवारा घूमने वाले इन जानवरों के साथ क्या करना चाहिए- (ए) इन्हें एक साथ खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए, (बी) इन्हें जानवरों की संस्था पेटा को सौंप देना चाहिए और (सी) संसद में इस सवाल को उठाना चाहिए। और देखिए चंद ही मिनटों में हमारी खबर का असर, सरकार ने अब आवारा घूमने वाले जानवरों को पकड़ने वालों को इनाम देने की घोषणा की है। यानी जो इन जानवरों को पकड़कर एमसीडी को सौंपेगा उसे सरकार की तरफ से इनाम दिया जाएगा। ये है सबसे तेज़ चैनल का असर। जारी है खबर का असर, ब्रेक के बाद भी।


भला हो इन मीडिया वालों का, वो दिन है और आज का दिन, मुआ भाग भाग के मेरे पैरों ने जवाब दे दिया। लेकिन मुद्दई किसी के हाथ नहीं लगी हूं। वैसे अब डर भी नहीं लगता। क्योंकि ये लोग बड़े भुलक्कड भी तो होते हैं। एक दिन जिस खबर को बड़ा-चढ़ा के दिखाते हैं अगले ही दिन उसे भूल जाते हैं। उन्हें हर पल नई और चटपटी खबरें चाहिए। चलों इसमें मेरा ही फायदा है। अबतो ये सामने से भी निकल जाएं पहचानते नहीं है। ये वहीं तो रिपोर्टर है जिसने मेरी जैसी किसी बिल्ली की फोटो चैनल पर दिखाई थी। आज देखों, देखकर भी इग्नोर कर रही है। अब उसके पास बड़ा मुद्दा जो है। फैशन शो के लिए जा रही है, अब ये मुझे क्या पहचानेगी। और अगर मैं ये कह दूं कि मेरे पास मॉडल्स का अंदर का हाल है जहां तक इसका कैमरा नहीं पहुंचा तो ये मेरे ही पीछे लग लेगी। और अगर ये कह दूं कि कैट वॉक करती शिल्पा शेट्टी ने मुझी से रैंप पर चलने के टिप्स लिए, तो शायद मेरा एस्कक्लूसिव इंटरव्यू भी ले डाले।


पर मुझे क्या पड़ी है इनके पचड़े में पड़ने की। मुझे तो अभी अपने पेट की आग बुझानी है। दो दिन से एक दाना भी नहीं गया मुंह मेँ। इससे पहले कोई नई मुसीबत आए कुछ जुगाड़ करू चलके। क्या करूं, आम बिल्ली जो ठहरी।

13 comments:

Anonymous said...

वाह भई शैली, रवीश कुमार की छुट्टी करने का इरादा है क्‍या! व्‍यंग्‍य का ये तेवर ज़बर्दस्‍त है। कहां छुपाये रहती हो। हर हफ्ते तुम्‍हारा ब्‍लॉग अपडेट नहीं हुआ, तो देख लेना।

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

main pahli bar yahan chupkar aada jamaya to malum hua ki yahan aane me phayada hai yaar....
warnaan mazedar hai..
sukriya

Sanjeet Tripathi said...

बहुत बढ़िया लिखा है आम बिल्ली ने!!

Anonymous said...

बढ़िया है। नियमित लिखा जाये।

अनिल रघुराज said...

वाह, शैली अच्छा है। नियमित लिखा करो...
अनिल सिंह

Udan Tashtari said...

वाह!! अच्छा रहा आपका लेखन पढ़ना. बधाई.

Shastri JC Philip said...

आप अच्छा लिखेती हैं, लेकिन आपकी पोस्टिंग में बहुत समय का अंतराल है. सफल ब्लागिंग के लिये यह जरूरी है कि आप हफ्ते में कम से कम 3 पोस्टिंग करें. अधिकतर सफल चिट्ठाकार हफ्ते में 5 से अधिक पोस्ट करते हैं -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

उमाशंकर सिंह said...

अपनी शैली में लिखते रहो बस। कुछ भी लिख देने के दबाव में जिस दिन आ जाओगी...शायद भ्रमित हो जाओ। इसलिए सुनो सबकी, करो मन की।
शुभकामनाएं

Mohinder56 said...

बिल्ली चाहे दुम दबा के भागे या दुम उठा के... आप लेखन में जमे रहियेगा... हम पढने आते रहेंगे...सुन्दर लेख के लिये बधायी

Mohinder56 said...
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अजित वडनेरकर said...

बहुत ख़ूब ! हम भी आते रहेंगे .

Anonymous said...

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Rupesh Kashyap said...

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